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Home / Delhi: The Heritage City / खंडहर बोल उठे : दिल्ली की अनकही दास्तानें
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  1. Home > Delhi: The Heritage City > खंडहर बोल उठे : दिल्ली की अनकही दास्तानें
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खंडहर बोल उठे : दिल्ली की अनकही दास्तानें

खंडहर बोल उठे : दिल्ली की अनकही दास्तानें

By :- Ramesh Chander

Price:
 595     $ 15
 495
Sale Price:
     $ 12
QTY:
  • Available: In Stock

Type: Hindi

Pages: 124

Format: Hard Bound

ISBN-13: 9788173057052

Edition: 1st

Publisher: ARYAN BOOKS INTERNATIONAL

Size: 16cm x 24cm

Product Year: 2024

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  • Book Description
  • Table Of Content
  • Authors Details


क्या  है यह किताब---

उर्दू के खुदा -ए-सुख़न मीर तकी मीर के तारीख़ी शेर की दो लाइनें

                “…दिल्ली जो शहर था आलम में इंतिखाब,

                हम रहने वाले हैं उसी उजड़े दयार के”

बड़े मुख़्तसर में मगर संजीदगी से बयान करती हैं दास्तान उस दिल्ली की जो न जाने कितनी ही बार आबाद हुई और न जाने कितनी ही बार बर्बाद हुई। हाथों में जो किताब सोंपी जा रही है उसे आबाद होने और बर्बाद होने के दौर की अनेकों दर्दनाक या फिर ख़ुशगवार दास्तानों से आरास्ता किया गया है।

दिल्ली शहर के खंडहरों और चप्पों में न जाने कितनी ही दर्दनाक हैरतअंगेज दास्तानें दबी पड़ी हैं जो बाहर निकलने के लिए तड़प रही हैं । इस किताब में खंडहरों के पत्थरों के बोझ तले दबे इन्हीं कुछ किस्सों को उतारा गया है । यूँ तो किताब दिल्ली शहर के अब तक रहे सफ़र का पूरा आईना नहीं है ताहम पेश किए गए बुलंद और दिलचस्प  क़िस्से  यक़ीनन आम आदमी में दिल्ली को और बेहतर समझने के लिए कौतुहल जरूर जगाएँगे।

पेश की जा रही दास्तानें साफ़ दिखाती हैं कि है जरूर कुछ बात दिल्ली में कि मिटती नहीं इसकी हस्ती। दरअसल जो बात दिल्ली में है वो किसी और शहर में नहीं है। न जाने कितने ही शहर कुदरती  हादसों या फिर आदमी की हवस का शिकार हो गए और मिट गए हमेशा के लिये मगर दिल्ली हमेशा जिंदाबाद रही और ये और भी जवान होती जा रही है।

इन सभी दिलचस्प किस्सों को लिखने में इतिहास के अलग अलग सुरागों, अक़ीदों, कहावतों मसलन १८४७ में  लिखी सर सैयद अहमद खां की किताब आसार उस सनादीद,  मौलवी ज़फर हुसैन की मौनूमेंट्स आफ देहली (१९१९ ) और  कार स्टीफ़न की १८७६ में लिखी किताब आर्कियोलॉजी एंड मौनूमेंटल रिमेंस आफ देहली वगैरह  में दर्ज रही जानकारी का भरपूर इस्तेमाल किया गया है।

यक़ीन है इस किताबी थाली में परोसे जा रहे क़िस्से लोगों का मनोरंजन करेंगे और दिल्ली को और जानने के लिए उनमें कौतुहल जगाने में कामयाब होंगे। 




No Information Available!!

रमेश चंदर, भारतीय राजस्व सेवा के सदस्य। यद्यपि जन्म राजस्थान के चुरू जिले में परंतु दिल्ली विशेषकर पुरानी दिल्ली में पले व बढ़े। शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय से वाणिज्य स्नातक व गुजरात विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित सर एल ए शाह विधि महाविद्यालय से विधि स्नातक की उपाधि प्राप्त की।

बैंक आफ बड़ौदा में अधिकारी रहे। आयकर कानून के विशिष्ट ज्ञान के साथ-साथ कानून की अन्य विधाओ मसलन सर्विस कानून, संवैधानिक कानून, उपभोक्ता कानून, में विशेष दख़ल। विधिक विषयों पर व्याख्यान देने के साथ-साथ लेख लिखते रहते हैं जो समय-समय पर जानी-मानी विधि रिपोर्ट्स में प्रकाशित होते हैं। समय-समय पर भारत सरकार के वित्त मंत्रलय की अनेकों समितियों में शामिल हो अपने विधि ज्ञान व अनुभव से महती योगदान।

हिन्दी पत्र पत्रिकाओं में भी समय-समय पर कहानियाँ, कविताएँ, धर्म व तत्व ज्ञान लेंखन। ये खुद को

शौक़िया  इतिहासकार एवं समाज-विज्ञानी कहलाना पसंद करते हैं और अपनी पैनी नज़र तथा पैठ से समसामयिक विषयों को गंभीरता व नवीन दृष्टि प्रदान करते हैं।           

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